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Thursday, March 28, 2019


                                      जी हाँ कुछ भी कर सकता हूँ मैं |         दिनेश मांकड़
            चुनाव द्वार पर खड़ा रह गया| मतदान का दिन भी अभी आ जायगा | " क्या करूँ ?  किसको  अपना मूल्यवान मत दूँ ? "समझदार देशवासिमे यह सवाल है |-होना ही चाहिए |
        पहला सवाल यह की  मतदान शत प्रतिशत क्यों नहीं होता ? मतसूचि ने गलती या तो किसी खास वजह से घर पर न होना -ऐसे तो एक या दो प्रतिशत लीग ही होते है | जिसका नाम मत सूचि में नहीं है वो तो गैर जिम्मेदार लोग है | देश के प्रति -लोकतंत्र के प्रति  बेवफा है वे लोग| छोडो इसकी तो चर्चा ही तो अलग है | हम तो यहां जिसका नाम मतसुचि में है उसकी ही बात कर रहे है |सुबह उठकर अच्छी चाय मिलनी ही चाहिए | नहीं मिली तो ?? अपने कपडे भी तो तैयार होने चाहिए| | घर की बहार निकले तो यातायात भी सरल और अच्छा होना चाहिए|  अच्छा -अच्छा -अच्छा ,हमें सभी जगह  अच्छा ही चाहिए |  बुरा नहीं है ,होना ही चाहिए |अपने लिए या तो परिवार ,समाज  के लिए सभी बातें अच्छी होनी ही चाहिए ,यह सब के अंदर होनी ही चाहिए |इसी ही तरह हम सब समझदार नागरिक यह भी अपेक्षा रखतें है की पुरे देश में भी सभी सुविधा अच्छी और अधिकतम हों |और होनी भी चाहिए.| भारत विस्तार में सारे विश्व में सातवां और आबादी में दूसरे स्थान पर है | इतने बड़े देश में लोकतंत्र भी बड़ा ही है |  ३० से भी अधिक राज्य-प्रदेश ,भिन्न भाषाएं ,भिन्न भिन्न जातियां ,धर्म | बहुविध विचार एवं रहन -सहन वाली हमारी संस्कृति है | इसके अंदर एक तंत्र -लोकतंत्र को  संसार में सबसे  अच्छी तरह चलाना -चलने देना ,हरेक देशवासी की  देशके प्रति नैतिक फर्ज बनती है |
       आखिर हम मताधिकार के लिए इतने गंभीर क्यों नहीं है ? - हम सब की एक आदत है ,हम बोलते ज्यादा है और सच्ची दिशामे  सोचते कम है | हकीकत में हमारी मुसीबतों का कारण भी ही  है |  शिकायतें भी आपस आपस में कह कर संतोष प्राप्त कर लेते है  मगर उसके हल के बारेमे 'मै क्या कर सकूँ ?'-  ऐसा सोचते ही नहीं है | लोकतंत्रमें  यह सब से बुरी चीज है|   दूसरी  बात -चुनाव के वख्त हम पहले उम्मीदवार को व्यक्तिगत तौर पर  देखते है | पक्ष के विचार -विज़न को बाद में देखतें है | अगर अच्छा नहीं लगा तो मतदान न करने का विचार कर बैठते है | यह बिलकुल गलत बात है | जो मतदान नहीं करते है उसको किसी भी समस्याके बारे में एक भी शब्द बोलने का अधिकार नहीं है| 
       अबतक देश में बहोत चुनाव हुए | बहुधा में कोई भी क्षेत्रका मतदान  अधिकतम ७० प्रतिशत से  कभी भी नहीं बढ़ा | कुछ इलाको में तो २० या ३० प्रतिशत मतदान होता है | ऐसा क्यों होता है ? किसी व्यक्ति को देखकर मतदान नहीं करना यह तो अपने आप पर अविश्वास की बात है |  जितने उमीदवार खड़े है उसमे से कौन थोड़ा सा अच्छा है  यह निश्चित  करना तो बिलकुल सरल बात है | अपनी व्यवसाय और कार्यकी जिम्मेदारी  के कारण मतदान के लिए समय नहीं निकल सकने वाले  मित्रो में , कार्य में अग्रता की समझदारी कम है |  मनोरंजन और दूसरे सामान्य कार्यो के लिए समय निकालने वाले  पांच साल में एकबार आने वाले चुनाव में मतदान के लिए घंटा भी  वो तो लोकतंत्र के लिए पुरे गैर जिम्मेदार  लीग है | और जो आलस की  वजह से  मतदान के लिए घर की बहार नहीं निकलते है उसको अगर कुम्भकर्ण कहेंगे तो कुम्भकर्ण का अपमान होगा |
        दिव्यांग मित्रो ,जिसके पैर-हाथ में तकलीफ है ,प्रज्ञा चक्षु है ,वो मतदान करते है | चल या सुन  नहीं सकते ,देख नहीं सकते ऐसे बुज़ुर्ग भी उत्साह से मतदान करते है| सेनाके जवान भी सरहद भी सँभालते है तो भी मतदान  चूकते नहीं है|  क्या कहना है जो बिना वजह मतदान नहीं करते है ?
        अब बात "नोटा " की | शासन ने नोटा की अनुमति तो दी है ,मगर हम नोटा का इस्माल क्यों करे ? क्या हम में ऐसी भी अक्कल नहीं की हमारे दो-चार उमीद्वारामे से सब से अधिक अच्छा कौन है ,वह हम निश्चित न कर सके ?? लोकतंत्र में सब से अच्छा ,सर्वगुण सपन्न कोई भी नहीं मिलने वाला | अगर  हम नोटा का इस्माल करते है तो मतलब यह हुआ की हमने अयोग्य उमीदवार को चुना | क्योकि नोटा से थोड़े अच्छे को इतने कम मत मिले ,जो नोटा हुए |  जीवन में  कईबार ऐसा होता है की बात हमारे पुरे मत की नहीं होती ,तो क्या हम इस बात से भागते  है या  हो सके इतनी बात का स्वीकार करते है ? राष्ट्र के लिए -खुद हमारे लिए भी पुरे लोकतंत्र के लिए मतदान तो  हो सके इतना ज्यादा से ज्यादा होना ही चाहिए|  छोटा सा उदहारण लेते है -करीब एक हजार मतदारो वाला छोटा गावं है |  ६५  प्रतिशत मतदान हुआ | एक पक्ष को  ३०  प्रतिशत दूसरे को  २५ प्रतिशत और २० प्रतिशत नोटा है | इसका मतलब की सिर्फ ३० प्रतिशत वाला उमीदवार पुरे गावं के एक हजार लोगो का प्रतिनिधित्व करेगा | यह सच्चा और अच्छा जनमत है ही नहीं|
       दोस्तों ,आदमी भगवान्  का सब से श्रेष्ठ सर्जन है |हमें बुद्धि-विचार शक्ति दी है | देश के लिए हम और कुछ कर सके या न करे ,पांच साल  में एक बार मतदान तो कर ही सकते है| जैसी भी है ,हमारी लोकशाही है| विश्व में सब से बढ़कर लोकशाही है| उस लोकतंत्र  सच्चे अर्थ में पूर्ण लोकतंत्र बनाना है तो 'बटन 'दबाना ही होगा | चलो ,साथ मिलकर राष्ट्रिय उत्सव  मनाए | शत प्रतिशत मतदान का प्रण ले | लोकतंत्र की जननी भारत माता की जय |

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