मै
समजदार हूँ
पिताजी के साथ एक छोटा बच्चा घूमने निकला.| घूमते घूमते
खेत-खलियान की और निकले | बच्चे का ध्यान उन प्राणिओ पर गया जो खेतो में से कुछ खा रही थी| बच्चे
की जिज्ञासा बढ़ी, पिताजी से सवाल किया," पप्पा
,ये गाय-भेस सभी सभीगया खेतो
में कुछ न खुछ खा रहे है ,मगर ये पास वाले खेत में से क्यों नहीं
कहते ? " पिता ने उत्तर दिया ,बेटा बाकि खेतो
में तो गेहू,ज्वार आदि है ,मगर जिसमे से
कहते नहीं यह तम्बाकू का खेत है |" बच्चेका नया सवाल ,"क्यों
?" पिताजी कहा,"तम्बाकुसे
सरीर को बहोत नुकसान होता है |' बालक बोल उठा ," लेकिन
पिताजी आप तो तम्बाकू भी खते है और सिगरेट भी पीते है ,प्राणी को मालूम
है की बुरी चीज नहीं खानी चाहिए ,ओर आपको मालूम नहीं?"
मित्रो , समझते
हुए,जानते हुए भी हम
अपने आपमें थोड़ा सा सुधर नहीं ला सकते |कुछ लोग को तनाव या थकान की वजह से आदत पड़ती है, को किसीको सोबत से,केवल मनोरंजन से | लेकिन बुरी आदत आखिर तो बुरी ही है न | हरएक को यह आदत छोड़ने इच्छा जरूर होती
है ,मगर छोड़ नहीं
सकते | क्युकी इसके
बारे में ज्यादा सोचते नहीं है| हम सब देशके दुश्मनो को धिक्कार करते है, आतंकवाद,नकस्लवाद जैसे संगठनो भी समाज को ज्यादा हानि पहुंचाते है| | आखिर तौर पर यह सब हमारे दुसमन ही तो
है| जो व्यक्ति समाज
की किसी दूसरी व्यक्ति को ,बिना वजह हैरान करे
वो समाज का दुश्मन ही है |चाहे
वो नुकसान बड़ा हो या छोटा |
तम्बाकू ओर सिगरेट के व्यसन से हम खुद को तो नुकसान पहुंचते है ,और कितने लोगो को नुकसान पहुंचते ये
कभी भी सोचते ही नहीं है| एक
अभ्यासके अनुसार विष्वमे तम्बाकू -सिगरेट से सेवन से हर साल ६० लाख लोग मरते है ,जिसमे से ६ लाख लोग तो दुसरेके व्यसन के प्रभाव से मरते है !
नॅशनल फेमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार अकेले
गुजरात में ही ९ प्रतिशत से ज्यादा लोग तम्बाकू की वजहसे होने वाले मुंह के कैंसर
से मरते है | कार्यालय में काम करने वाले २१ प्रतिशत सह
कार्यकर "पेसिव स्मोकिंग " याने
की दुसरो की आदत के भोग बनते है | यूँही
तो जाहेर जगह पर तम्बाकू -सिगरेट सेवन क़ानूनी गुन्हा है ,फिर भी ३१
प्रतिशत से ज्यादा लोग इन आदेश से नुकसान भुगतते है|
व्यसनी लोग को क्या "परिवार प्रेम
"का अर्थ मालूम है? अगर हाँ ,तो ये सब व्यसन ही क्यों करते है? जो
बच्चे अपने पिता { कभी
कभी माता भी } को
व्यसन करते देखता है ,क्या
माता -पिता ,उन बच्चोको कोई बुरी आदत छोड़ने को कह सकेंगे ?
कई घरों में यह आदत चोरी-छूपीसे पूरी की जाती
है ,और एक बुराई जुड़ जाती है | बहोत से परिवारोंमें शिक्षा एवं अन्य
आवश्यक खर्चके बजट बनाना पड़ता है ,लेकिन व्यसन के खर्चे का ऑडिट नहीं होता \ऐसे बहुत से घर
पाए जाते है जिसमे बच्चो या अन्य परिवार जनो के दूध या टॉनिक के पैसे नहीं होते |
आज " विश्व तम्बाकू निषेध
दिवस " है | क्या हम एक छोटी
सी आदत को अपने जीवन से बिदा करके खुद को ,खुद
के परिवार को ,समाज को
सबसे बड़ी भेंट नहीं दे सकते ? हम तो समझदार है ,मनुष्य
है | कभी कभी बड़े बड़े निर्णय भी ले
सकते है ,तो इतनी सी छोटी सी बात का निर्णय लेना तो आसान ही तो है | सिर्फ थोड़ा सा
दृढ़ मनोबल,चाहिए,,संकल्प बल
चाहिए| ये तो आपमें है ही | पावेज़ नामक
चिंतक कहते है , " संसार
में सबसे बड़ी ख़ुशी ,किसी
अच्छी बात का आरम्भ करने है| " सब का दिन शुभ
हो |
No comments:
Post a Comment