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Thursday, February 20, 2020

शीध्र ही कल्याण प्राप्त करने का पर्व -महा शिवरात्रि


          महाशिवरात्रि की पौराणिक कथा तो हम सब को मालूम ही है | --हिरणी ने अपने बच्चो को मिलकर वापिस आने का वचन दिया | उसकी राह देखने  तक पूरी रात बिल्वपत्र  के पेड़ पर बैठा ,एक एक बिल्वपत्र  तोड़कर गिराता रहा | पेड के निचे शिवलिंग था| उस पर पूरी रात बिल्वपत्र गिरते रहे|  शिवजी प्रसन्न हुए| --भोले नाथ शिवजी को हम सातत्यपूर्ण याद करते रहेंगे तो शीघ्र हमारा कल्याण होगा| हमारी भारतीय संस्कृति के सभी पर्व-उत्सव के पीछे हमारे ही विकास के लिए कुछ रहस्य छिपे हुए है |
         'शिव ' शब्द का अर्थ ही 'कल्याण ' है | शिवजी ज्ञान के देवता है |--"शिवो भूत्वा ,शिवं यजेत |--शिव का स्मरण करते करते खुद 'शिव' बन जाऊ | ज्ञान के देव की आराधना करता रहु  तो ज्ञान की प्राप्ति होगी| मेरे अपने बारे में, अपने कर्तव्य के बारे में ,ज्ञान प्राप्त होगा | शिवजी उत्तुंग शिखर कैलास पर रहते है -मेरे विचार भी हर समय उच्च ही रहना चाहिए| शिवजीकी जाता में गंगा है| -मेरा दिमाग हर समय जल जैसा शीतल ही होगा| अस्खलित होगा | शिवजी 'नीलकंठ' है| - मुझे कहा से भी कटुता मिले तो  उसको मै स्वीकार भी करूँगा ,मगर कंठ में ही रखकर खुद को ज़हरीला नहीं बनाऊंगा | नाग विषयेंद्रिय का प्रतिक है| शिवजीने इसे अपने गले में बांध रखा है | मै भी संसार रहते हुए भी अपनी सभी आसक्ति औ -आदतों पर संयम से  रहु | डमरू ,जाग्रति का घोष है| मेरी आसपास जो कुछ हो रहा है उससे मै सदा अवगत ही रहु| तो स्वयं विष्णु  उपस्थित बताती है |और त्रिलोचन शिव की तीसरी आँख भय एवं प्रेम का प्रतिक है | यदि कोई सज्जन को नुकशान होता है तो ईश्वर उसे अंजाम देते ही है |यु ही तो तीसरी आंख प्रेम की सूचक है | प्रेमभक्तिके अधिष्ठाता भगवान विष्णु ने शिवजी दी हुई भेट है| हम अगर किसीको भी निस्वार्थ रूप से चाहे तो हम भी  हम शिवजी का ही कार्य कर रहे है | नटराज शिव तो सभी कलाओ के भी गुरु है| हर मनुष्यके अंदर कोई कला तो छिपी होती है|कला को विकसित करना भी तो शिवजीकी ही उपासना है |
       बिल्वपत्र तीन पत्तोका बना हुआ है | मानव जीवन की तीन अवस्था -बाल्यावस्था,युवावस्था और वृद्धावस्था.| शिवजी को जब बिल्वपत्र  समर्पित करते है तो उस समय हमें भावना करनी  की मेरी तीनो अवस्था आपको समर्पित है | मेरे जीवनके  सभी क्षण आपके चरणोमे -आपके गुणों से प्रभावित बने रहे |
       आइए ,शिवजी की पूजा के समय-अभिषेक करते वख्त  हम संकल्प करे की मेरा पूरा जीवन  सिर्फ मेरे कल्याण के लिए ही नहीं ,मगर  मेरे परिवार ,पड़ोस ,राष्ट्र एवं विश्व के ही समर्पित हो| 
                                   न जानामि योगं जपं नैव पूजां नतोऽहम सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम् ।
                                    जराजन्म दुःखौघ तातप्यमानं    प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो।।
मैं  न तो योग जानता हूँ, न ही जप और न पूजा ही। हे शम्भो मैं तो सदा सर्वदा आपको ही नमस्कार करता हूँ। हे प्रभो ! बुढ़ापा और जन्म ( मृत्यु ) के दुःख समूहों से जलते हुए मुझ दुखी की दुखों से रक्षा कीजिये। हे ईश्वर ! हे शम्भो ! मैं आपको नमस्कार करता हूँ।।
                                                                                                               




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