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Wednesday, August 25, 2021

हम क्यों त्योहारों मानते है ?

हम क्यों त्योहारों मानते है ?

-हमारी भारतीय संस्कृति,विश्वकी सबसे प्राचीन है.|  सालभर हम भिन्न भिन्न रूप से त्यौहार मनाते है | .क्या हमने सोचाकी हम क्यों त्यौहार मानते है ? हमारे ऋषि ओने हर त्यौहारके पीछे निश्चित रूपसे एक बड़ा सन्देश होता है | अगर इसको जाने तो त्यौहार मनाने का आनंद और बढ़ जायगा |यूँही तो नूतन वर्ष ,बलि प्रतिप्रदा ,भाईदूज ,मकर संक्रांति ,महा शिवरात्रि ,होली,रामनवमी श्राद्धपर्व ,नवरात्री ,धनतेरस ,काली चौदस  दीवाली और भी अनेक.| हर त्यौहार के पीछे स्पष्ट रूपसे कोई न कोई बड़ा सन्देश छिपा ही है |   अभी श्रावण महीना चल रहा है | शिव पूजा होती है | ' शोवो बटवा शिवम् यजेत |'- शिवजी  के विचार से  शिव बनने की कोशिश करना | शिव ज्ञान के देवता है ,तीसरी आँख वाले शिवजी भी भोलेनाथ कहलाते है | शिवजीका त्रिशूल रक्षा का प्रतिक है तो डमरू जगाने का ,नागदेवता सयम और चंद्र शीतलता का द्योतक है | अगर हम हमारे जीवनमे शिबजीका एक भी गुण  लाने की कोशिश करे तो यह ही हमारी सच्ची पूजा है |

श्रावणमे तो रक्षाबंधन है | 'बहुला चौथ ' सभी प्राणिमात्र के लिए आदर रखने की सोच है | नागपंचमी भी सभी सरीसृप के लिए सत्कार रखने का सन्देश है | शीलता सातम का  उद्देश्य अग्निदेव की पूजा है | जो देव ३६५ दिन हमारी सेवा करते है उसी प्रत्यक्ष अग्निदेव को एक दिन विराम दे और उसको याद करके नमन करे | जन्माष्टमी को कृष्ण जन्म तो मनाते है | साथसाथ श्री कृष्ण के वीरता ,विचक्षणता ,तटस्थ न्याय ,निर्व्याज प्रेम ,'परित्राणाय साधुनाम विनाशय दुष्कृताम ' जैसे गुणों को जीवन में लाने की कोशिश करें | यही सच्ची जन्माष्टमी है 

आओ हम हमारे त्योहारों को बारे में जाने और सच्चे दिलसे ,सच्ची तरह मनाये और अपने विकास के साथ हमारी भारतीय संस्कृति को भी उजागर करे |

दिनेश ल.मांकड़ -९४२७९६०९७९

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