Readers

Wednesday, May 6, 2020

खोज, ग्यारहवीं दिशा की |


                                                     खोज,  ग्यारहवीं दिशा की |
             यह विचार उन युवाओ को समर्पित है ,जो नई सोच रखते है | उन माता -पिताको समर्पित है जो अपने बच्चो के लिए बहोत बड़ी उम्मीदे रखते है |  इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग  पदवी पा कर २२ साल का भतीजा हैरत मिलने आया | 'चाचाजी  आपके आर्शीवाद चाहिए | " मैंने पूछा ,'अब क्या करने वाले हो ?' बिना उत्तर दिए वह चला गया | पंद्रह दिन बाद फिर से आया | हाथमे छोटा सा 'डिवाइस ' था | बिना कुछ बोले  स्विच बोर्ड खोला ,डिवाइस लगाया |  स्विच ओन किया और बोला, 'चाचाजी ,यह मैंने बनाया है|  आपने ही कहा था की  रात को  ए.सी  की वजह से खंड के बदलते  तापमान से आपकी नींद ख़राब होती है |  मैंने सोचा ,आपकी समस्या कैसे हल हो सकती है ? दिमाग लगाया |  मेरा बनाया हुआ यह डिवाइस  आपके ऐ.सी. और पंखे को स्वयं सचालित ही पूरी रात चलाएगा और आपके खंड का तापमान समतोल रखेगा | "   
           कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को हिला दिया है | विश्व के सभी देश अपने देशवासी की जान बचने की कोशिश में है | जब तक इस वायरस की वेक्सीन नहीं आएगी तब तक ऐसा ही चलता रहेगा | स्थिति नाजुक है  |  चिंता करने जैसी है | फिर भी सत्य तो यही है की जो बात हमारे बस में नहीं है ,हम  सब सिर्फ इसके ही बारे में कितने समय तक सोचते रहेंगे  ? मानव मात्र -विज्ञानी ,तबीबों सब  अपनी तरफ से हो सके  इतना सामना कर रहे है | करते ही रहेंगे |
         आओ ,जरा हट कर कुछ और सोचे | हकीकत तो यह है की सारे संसार में सभी समीकरण बदले है ,बदलते रहेंगे खास करके आर्थिक मोर्चो  पर तो पूरा परिवर्तन हो जायगा | किसीने भी  सोचा नहीं होगा, दुनिया के बड़ो देशो की भी ऐसी स्थिति आएगी |
        अब हम अपने देश की बात करे | देश में  संक्रमित लोग कितने ?  देशकी कुल आबादी के १ {एक } प्रतिशत से भी कम | बाकी के ९९ प्रतिशत क्या कर रहे है ?  क्या  वे सब कुछ नया सोच रहे है ?  खास कर के भारतमे तो ६० प्रतिशत से ज्यादा युवा वर्ग है | 
     उसके पास तो अधिक सोच की आशा रख सकते  है न ?  'आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है| ' कोरोना की वजह से हमारे ही देश में सस्ता वेंटिलेटर बना | टेस्टिंग किट बनी | शायद वेक्सीन भी बन जाय तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए |   हमारे देश के पास क्या नहीं है ? जिसका कुछ करना है उसके सामने सभी रस्ते  खुद स्वयं खुल जाते है | नाविक का बेटा विश्व का बड़ा मिसाइल मेन बन सकता है|  छोटे से गांव का लड़का देशका बड़ा कार्यभार संभाल सकता है | अनेक अनेक उदाहरण हमारे सामने है |  आने वाली दिक्कतों को शस्त्र-हथियार -साधन बनाकर ,आगे बढ़ना है| इसमें से नए रास्तेकी खोज करनी है|
        पूरा विश्व संकट में है| अब सिर्फ अधिक मात्रा में पैसे कमाने का दुनिया का रास्ता भी पुरे संकट में पड़ गया है | यही सब से अच्छा अवसर है कुछ कर दिखाने का | नए आविष्कार का | नए प्रकल्प सोचने का | जितनी आपत्ति गहरी उतनी बाहर निकलने की हमारी ताकत ज्यादा | बार बार जापान का उदाहरण दिया जाता है | विश्वयुद्ध में पूरा तबाह हुआ जापान जल्द ही अधिक क्षमत्ता से बाहर निकला| क्या भारत के युवा भी आयी हुई इस  मुसीबतमे से कुछ सीखेंगे क्या ? तक को उठा लेंगे ?  रात जितनी अँधेरी होगी ,सुबह उतनी ही रंगीन होगी | संघर्ष का दूसरा नाम ही सिद्धि है | जितना संघष ज्यादा ,उतनी ज्यादा सफलता |
       बड़े बड़े महापुरुष कह भी गए है |- कर भी गए है |  तो हम क्यों नहीं कर सकते ?  कई बाते मुश्किल होती है ,मगर असंभव नहीं होती | करने की -कर दिखाने की हमारी इच्छा शक्ति कितनी प्रबल है ,इस पर हमारी सफलता का पूरा आधार है |
         ज़रासोचिए | संसार में आबादी में दूसरा देश भारत -१३० करोड़ मे से सो में भाग सिर्फ एक प्रतिशत युवा वर्ग औसत एक करोड़ युवा मित्रो कुछ नया सोचे |  नया करने का निश्चय करे |  कहाँ पहुंचे हमारा  देश ? और हम खुद भी |अब तक सोचने बहोत वख्त निकाला | और करने इससे अच्छा समय कोई नहीं | तो फिर देर किसकी ?
        एक बार निश्चय पूर्वक कुछ नया करने का सोचना शुरू करेंगे तो -सभी कहावते सच्चे अर्थ में सच्ची होगी -' हिम्मते मर्दा तो मददे खुदा '- ' સિદ્ધિ  તેને જઈ વરે,જે પરસેવે નહાય '—‘ Fortune favours those who are Brave. ‘
       तत्त्व चिंतक पावेज़ कहते है ,'जगत में सबसे अधिक एक मात्र आनंद  है -कुछ आरम्भ करने का |'
चलो ,शुरू करे | उठाएं कदम ग्याहरवी दिशाकी खोज की और - माँ भारती को विश्व गुरु बनाने की और |
दिनेश मांकड़  --९४२७९६०९७९
अधिक लेख  पढ़ने के लिए ;
ब्लॉग –mankaddinesh.blogspot.com

No comments:

Post a Comment