खोज, ग्यारहवीं दिशा की |
यह विचार उन
युवाओ को समर्पित है ,जो नई सोच रखते है | उन माता -पिताको
समर्पित है जो अपने बच्चो के लिए बहोत बड़ी उम्मीदे रखते है | इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग पदवी पा कर २२ साल का भतीजा हैरत मिलने आया |
'चाचाजी आपके आर्शीवाद चाहिए | " मैंने
पूछा ,'अब क्या करने वाले हो ?' बिना उत्तर दिए वह चला गया | पंद्रह
दिन बाद फिर से आया | हाथमे छोटा सा 'डिवाइस '
था |
बिना
कुछ बोले स्विच बोर्ड खोला ,डिवाइस
लगाया | स्विच ओन किया
और बोला, 'चाचाजी ,यह मैंने बनाया है| आपने ही कहा था की रात को
ए.सी की वजह से खंड के बदलते तापमान से आपकी नींद ख़राब होती है | मैंने सोचा ,आपकी समस्या
कैसे हल हो सकती है ? दिमाग लगाया | मेरा बनाया हुआ यह डिवाइस आपके ऐ.सी. और पंखे को स्वयं सचालित ही पूरी
रात चलाएगा और आपके खंड का तापमान समतोल रखेगा | "
कोरोना वायरस ने
पूरी दुनिया को हिला दिया है | विश्व के सभी देश अपने देशवासी की जान
बचने की कोशिश में है | जब तक इस वायरस की वेक्सीन नहीं आएगी तब तक ऐसा
ही चलता रहेगा | स्थिति नाजुक है |
चिंता करने जैसी है | फिर भी सत्य तो यही है की जो बात हमारे
बस में नहीं है ,हम सब
सिर्फ इसके ही बारे में कितने समय तक सोचते रहेंगे ? मानव मात्र -विज्ञानी ,तबीबों
सब अपनी तरफ से हो सके इतना सामना कर रहे है | करते ही रहेंगे |
आओ ,जरा हट कर कुछ
और सोचे | हकीकत तो यह है की सारे संसार में सभी समीकरण बदले है ,बदलते
रहेंगे खास करके आर्थिक मोर्चो पर तो पूरा
परिवर्तन हो जायगा | किसीने
भी सोचा
नहीं होगा, दुनिया
के बड़ो देशो की भी ऐसी स्थिति आएगी |
अब हम अपने देश की बात करे | देश में संक्रमित लोग कितने ? देशकी कुल आबादी के १ {एक }
प्रतिशत
से भी कम | बाकी के ९९ प्रतिशत क्या कर रहे है ? क्या
वे सब कुछ नया सोच रहे है ?
खास कर के भारतमे तो ६० प्रतिशत से ज्यादा युवा वर्ग है |
उसके पास तो अधिक सोच की आशा रख सकते है न ? 'आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है|
' कोरोना
की वजह से हमारे ही देश में सस्ता वेंटिलेटर बना | टेस्टिंग किट
बनी | शायद वेक्सीन भी बन जाय तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए | हमारे देश के पास क्या नहीं है ?
जिसका
कुछ करना है उसके सामने सभी रस्ते खुद
स्वयं खुल जाते है |
नाविक
का बेटा विश्व का बड़ा मिसाइल मेन बन सकता है| छोटे से गांव का लड़का देशका बड़ा
कार्यभार संभाल सकता है | अनेक अनेक उदाहरण हमारे सामने है | आने वाली दिक्कतों को शस्त्र-हथियार
-साधन बनाकर ,आगे बढ़ना है| इसमें से नए
रास्तेकी खोज करनी है|
पूरा विश्व संकट में है| अब
सिर्फ अधिक मात्रा में पैसे कमाने का दुनिया का रास्ता भी पुरे संकट में पड़ गया है | यही
सब से अच्छा
अवसर है कुछ कर दिखाने का
| नए आविष्कार का | नए प्रकल्प सोचने का | जितनी
आपत्ति गहरी उतनी बाहर निकलने की हमारी ताकत ज्यादा | बार बार जापान
का उदाहरण दिया जाता है | विश्वयुद्ध में पूरा तबाह हुआ जापान
जल्द ही अधिक क्षमत्ता से बाहर निकला| क्या भारत के युवा भी आयी हुई इस मुसीबतमे
से कुछ सीखेंगे क्या ? तक को उठा लेंगे ? रात जितनी अँधेरी होगी ,सुबह
उतनी ही रंगीन होगी | संघर्ष का दूसरा नाम ही सिद्धि है | जितना
संघष ज्यादा ,उतनी ज्यादा सफलता |
बड़े बड़े महापुरुष कह भी गए है |- कर भी गए है | तो हम क्यों नहीं कर सकते ? कई बाते मुश्किल होती है ,मगर
असंभव नहीं होती | करने की -कर दिखाने की हमारी इच्छा
शक्ति कितनी प्रबल है ,इस पर हमारी सफलता का पूरा आधार है |
ज़रासोचिए | संसार में आबादी में दूसरा देश भारत
-१३० करोड़ मे से सो में भाग सिर्फ एक प्रतिशत युवा वर्ग औसत एक करोड़ युवा मित्रो
कुछ नया सोचे | नया करने का निश्चय करे | कहाँ
पहुंचे हमारा देश ? और हम खुद भी |अब तक सोचने बहोत वख्त निकाला | और करने इससे अच्छा समय कोई नहीं | तो फिर देर किसकी ?
एक बार निश्चय पूर्वक कुछ नया करने का
सोचना शुरू करेंगे तो -सभी कहावते सच्चे अर्थ में सच्ची होगी -' हिम्मते मर्दा तो मददे खुदा '- ' સિદ્ધિ તેને જઈ વરે,જે પરસેવે નહાય '—‘ Fortune favours those who are Brave. ‘
तत्त्व चिंतक पावेज़ कहते है ,'जगत में सबसे अधिक एक मात्र आनंद है -कुछ आरम्भ करने का |'
चलो ,शुरू करे | उठाएं
कदम ग्याहरवी दिशाकी खोज की और - माँ भारती को विश्व गुरु बनाने की और |
दिनेश मांकड़
--९४२७९६०९७९
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ब्लॉग –mankaddinesh.blogspot.com
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